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*Mohan Chemist के आगे बौना साबित हो रहा है आबकारी विभाग कानपुर*
कानपुर: दवा बेचकर लोगों की जान बचाने का ठेका लेने वाले कानपुर के सर्वोदय नगर रीजेंसी के निकट स्थित Mohan Chemist के मालिक मोहित अग्रवाल के सामने कानपुर का आबकारी विभाग बौना साबित हो रहा है। क्योंकि “बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया” ये कहावत सच होती नज़र आ रही है क्योंकि आबकारी विभाग को Mohan Chemist के काकादेव के नवीन नगर स्थित द्विवेदी नर्सिंग होम के सामने बने बने बियर के ठेके में बिकने वाली एक्सपायरी डेट ओवर रेटिंग में शराब बिकने की जानकारी होने के बाद आबकारी विभाग द्वारा छापा मारकर कार्यवाही के नाम पर खानापूरी की गई थी भेद ना खोलने की एक शर्त पर आबकारी विभाग की जेब भी गर्म की गई थी।
सूत्रों की माने तो मौके पर पहुंचे आबकारी निरीक्षक रामअवतार शुक्ला ने अपनी टीम के साथ जब छापा मारा था तो उन्हें कार्यवाही ना करने के एवज में 30 हजार की दक्षिणा भी मिली थी। अब नामक खाकर नमक हरामि शायद ही कोई करेगा। Mohan Chemist के मालिक मोहित अग्रवाल व कथित भाजपा नेता उर्फ एडवोकेट राघवेंद्र झा का रसूख कुछ इस प्रकार है की आबकारी विभाग पुख्ता सबूत मिलने के बाद भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने से डर रहा है…
 क्षेत्रीय निरीक्षक निरंकार नाथ पांडे ने अभी तक साक्ष्य मिलने के बाद भी अनुज्ञप्ति मंजरी अग्रवाल जोकि Mohan Chemist के मालिक मोहित अग्रवाल की पत्नी के ठेके पर ओवर रेटिंग और जहर के रूप में एक्सपायरी डेट की शराब बेची जा रही थी अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की है। जबकि आबकारी विभाग को सबूत सौंप दिए गए हैं बावजूद इसके कार्यवाही ना होना कहीं न कहीं इस बात को साबित कर रहा है कि आबकारी विभाग की जेब गर्म हुई है।

*मोहन केमिस्ट के मालिक से डरते हैं आबकारी निरीक्षक*
Mohan Chemist के मालिक मोहित अग्रवाल की पत्नी के नाम से काकादेव नवीन नगर के बीयर ठेके में ओवर रेटिंग में एक्सपायरी शराब बेचे जाने के पुख्ता सबूत मिलने के बाद भी आबकारी निरीक्षक रामअवतार शुक्ला  ने अपनी जांच रिपोर्ट में अनुज्ञाति के पक्ष में रिपोर्ट लगा दी और रिपोर्ट क्षेत्रीय आबकारी निरीक्षक निरंकार नाथ पांडेय को सौंप दी।
निरंकार नाथ पांडेय को पुख्ता सबूत मिलने के बाद भी उनके द्वारा अभी तक अनुज्ञापी के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं देखने को मिली है। तो क्या समझा जाए Mohan Chemist के मालिक मोहित अग्रवाल से आबकारी निरीक्षक डरते हैं या फिर मोहित अग्रवाल के द्वारा किए गए आर्थिक एहसानों तले इतना ज्यादा दब गए हैं कि कार्यवाही करने में उनकी कलम नहीं चल पा रही है या उनकी कलम टूट गई है।

*मुर्दा नहीं देता है गवाही*
आबकारी विभाग के संरक्षण में बिकने वाली जहरीली शराब, एक्सपायरी डेट की शराब, कच्ची शराब, नकली शराब और ओवर रेटिंग में बिकने वाली शराब की जानकारी क्षेत्रीय निरीक्षक समेत कई आला अधिकारियों को होती है बावजूद इसके आबकारी विभाग आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करता है इससे लोगों की मौत हो जाती है, मौत के बाद मामला हाईलाइट होता है, मामला हाईलाइट होने के बाद जांच कमेटी गठित की जाती है फिर गलती सामने आने के बाद एक अधिकारी, दो अधिकारी या फिर कई अधिकारी निलंबित भी कर दिये जाते हैं लेकिन आबकारी विभाग का यह खेल खत्म नहीं होता क्योंकि
मुर्दा कैसे मरा है..?
कहां से उसने जहरीली शराब खरीदी थी…?
कितने रुपए में खरीदी थी..?
इस बात की गवाही देने वो नहीं आता और हमेशा के लिए मामला दब जाता है। अगले संस्करण में देखिये भाजपा नेता की दबंगई में होता है सारा काम…..

https://youtu.be/UCrFPvO2EA8

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